गगन को शब्दों की पहनाती मैं माला , मैं पंतग आओ तुम्हें दिखती मेरी कला। गगन को शब्दों की पहनाती मैं माला , मैं पंतग आओ तुम्हें दिखती मेरी कला।
संस्कार वो स्तंभ है जो संस्कृति को आधार देता है. संस्कार वो स्तंभ है जो संस्कृति को आधार देता है.
घमंड भाव का ना जीवन वास हो, भावों का चंदन हो. घमंड भाव का ना जीवन वास हो, भावों का चंदन हो.
दिल अति कोमल तंतु है, रखना इसे सँभाल। दिल अति कोमल तंतु है, रखना इसे सँभाल।
लोगों को व्यक्ति की सफलता दिखती है, पर उसके पीछे का संघर्ष नहीं। लोगों को व्यक्ति की सफलता दिखती है, पर उसके पीछे का संघर्ष नहीं।
फिर खुद ही मन से पूछते हैं, तू बेचैन क्यों है ? फिर खुद ही मन से पूछते हैं, तू बेचैन क्यों है ?